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र्ष 1982 में रोपित "सरस्वती विद्या मंदिर" नाम का यह नन्हा सा पौधा अब एक वटवृक्ष बन गया है। रूप एवं गुण दोनों में अपना प्रतिबिम्ब देखने के कारण समाज से इसे पर्याप्त सहयोग प्राप्त हुआ है, जिसके कारण विद्यालय का वर्त्तमान स्वरुप खड़ा हो सका है । वर्ष 1982 से वर्ष 1985 तक विद्यालय, शिशु मंदिर के साथ ही चल रहा था, किन्तु 'आवश्यकता अविष्कार की जननी है' उक्त आधार पर पूर्व माध्यमिक वर्ग की अलग व्यवस्था की गई। वर्ष 1985 में विद्या मंदिर की छात्र संख्या 135 थी, जो क्रमशः बढ़ कर सत्र 2023-24 में 2000 हो गई । इसी परिसर में शिशु मंदिर व बालिका विद्या मंदिर भी संचालित हो रहे हैं, जिसकी वर्त्तमान संख्या क्रमशः 1000 एवं 900 है । इस प्रकार इसी परिसर में नर्सरी से लेकर कक्षा द्वादश तक बालक/बालिकाओं के शिक्षण की उत्तम व्यवस्था है।
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